मंगलवार, 26 जनवरी 2016

भविष्य पर टंगी है निगाहें

हमें भविष्य को पढ़ने की जिद रहती है. अभी अभी नया साल 2016 आया है और हम साल के पूरे 12 महीनों का भविष्य एक सांस में पढ़ लेना चाहते हैं, जो शायद संभव भी नहीं है. क्योंकि भविष्य हमेशा गर्भ में रहता है और वह समय आने पर ही बाहर निकलता है. खैर नए साल से हमें काफी उम्मीदें है और सामने कई चुनौतियां भी. दुनिया में कई ऐसे इनोवेशन इन दिनों हुए हैं जिससे संभव है नए साल में हम एक बेहतर जिंदगी जी सकें. टेक्नोलॉजी हमारे जिंदगी को बेहतर बनाने के लिए हर पल कुछ न कुछ नया इजाद करती रहती है और अब वो समय भी नहीं रहा जब हम बिना टेक्नोलॉजी के एक कदम भी आगे बढ़ा सके. तकनीकी क्रांति के बड़े से बड़े आलोचक भी अब यह मानने लगे हैं कि कैसेट को फास्ट फारवर्ड तो किया जा सकता है लेकिन रिवाइंड नहीं. यही हकीकत भी है. दुनिया बड़ी तेजी से बदल रही है और हम पर पल कुछ नया चाहते हैं और इसी नए पाने की चाहत में टेक्नोलॉजी भी मानवता की चाहत के साथ कदमताल करती रहती है.



मेडिकल साइंस ने एक गजब की खोज की है. अब कुत्ते आपको सूंघकर यह बता देंगें कि आप बीमार हैं. यही नहीं कुत्ते यह भी बता देंगें कि आपको कौन सी बीमारी है. यहां तक की कैंसर भी. नाक की बात जब होती है तो कुत्ते की नाक के फायदे सबसे ज्यादा है. और मेडिकल साइंस ने इसी का फायदा उठाया. ब्रिटेन में कुत्तों को डॉक्टर की टीम ने आठ लोगों के यूरीन सैंपल दिए जिसमें एक यूरीन सैंपल एक ऐसे मरीज की थी जिसे कैंसर थी नहीं लेकिन उसके लक्षण थे. कुत्ते को पहचानने का टास्क दिया गया और कुत्ते ने कैंसर के लक्षण वाले मरीज के यूरीन सैंपल की पहचान कर ली. ऐसे कुत्तों को मेडिकल डिटेक्शन टीम में शामिल किया गया है. भारत में हमें देखना है कि बीमारियों की कुछ डायग्नोसिस सुनिश्चित की जाए, खास कर गरीब और मध्यम तबके के लिए जो अपने शहरों में इलाज करा कर थक जाते हैं . फिर बड़े अस्पतालों में महंगे टेस्ट पर टेस्ट कराते हैं. अनेकों एसी बीमारियां है जो आले से पहचानी जा सकती है उसके लिए भी 5 से दस हजार तक के टेस्ट करा दिए जाते हैं. भारत बड़ी आबादी वाला देश है और 70 फीसदी लोग गांवों में बसती है. 70 फासदी की आम आबादी के लिए क्या 2016 में चिकित्सा सुविधा सस्ती होगी. महंगे ऑपरेशन सस्ते होंगे. इन चुनौतियों को कम करने के लिए काफी उपाय किए जा रहे हैं. संभव है इस साल गांवों में बेहतर अस्पताल खुलें और स्वास्थ्य सुविधाएं सस्ती हों. तकनीक का इस्तेमाल कर हम महंगे ऑपरेशन को सस्ते कर सकते हैं जैसे अभी रोबोट के इस्तेमाल से हार्ट ब्लॉकेज जैसे ऑपरेशन बिना रक्त हानि के संभव हो पाए हैं. मगर एक बड़ी चुनौती है डॉक्टर और अस्पताल की. एक आंकड़े के मुताबिक 80 फीसदी डॉक्टर, 75 फीसदी क्लिनिक और 60 फीसदी अस्पताल शहरी इलाकों में हैं. 
 यह कहना यूटोपिया है कि दुनिया में शांति और भाइचारे का राज है लेकिन सच है कि पूरी दुनिया में युद्ध की स्थिति बनी हुई है. सबसे भयावह होती है युद्ध की विभीषिका. युद्ध में घायल हुए लोगों के घाव जल्दी नहीं भरते. लेकिन मेडिकल साइंस ने इस पर भी फतह कायम की है. घाव के दाग और उस पीड़ा को खत्म करने के लिए मेडिकल साइंस 2016 में और कुछ नया करेगी लेकिन फिलहाल यहां आपको जानकारी दे दूं कि अमेरिका में पिछले दिनों युद्ध में घायल हुए एक सैनिक का लिंग प्रत्यारोपित किया गया. अमेरिका में लिंग प्रत्यारोपण का यह पहला केस था. जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसीन में यह सफल प्रत्यारोपण किया गया. 12 घंटे तक यह सर्जरी चली और 50 लाख डॉलर खर्च हुए. मृत डोनर का शिश्न लिया गया और उसे प्रत्यारोपित किया गया. 
 एक ड्रोन आ रहा है- फ्लेयी जो फ्रेंडली होगा. यह फोर-रोटर ड्रोन है और इसकी साइज एक औसत फुटबॉल जैसी ही होगी. वजन लगभग 450 ग्राम होगा. यह लिनक्स बेस्ड कंप्यूटर होगा और इसमें डूयेल कोर प्रोसेसर होगा. यह जीपीएस इनेबल्ड है और इसमें 512 एमबी रैम है. 5 मेगा पिक्सल कैमरा. प्रति सकेंड 30 फ्रेम ले सकेगा. फुल एचडी वीडियो. सितंबर में इसे लांच किया जा सकता है. इसकी कीमत 1,250 पाउंड है. अगर आप पैपाराजी करना चाह रहे हैं तो ओनोगोफ्लाई ड्रोन 2016 में आपके काम आ सकता है. हथेली पर आने वाला यह ड्रोन में वह सारी खूबियां है जो 360 डिग्री पर हर कुछ रिकार्ड करने की क्षमता रखता है. स्मार्ट एग एक यूनिवर्सल रिमोट कंट्रोल है जो 2016 में आपको काफी ललचाएगा. बस इसे अपने घर के किसी सेंट्रल प्लेस में रख दें और इसे अपने एंड्रायड या आइओएस मोबाइल में ब्लूटूथ से पेयर कर दें. यह ब्लूटूथ के जरिए 5000 से ज्यादा रिमोट कंट्रोल और 1,20,00 इंफ्रारेड को पहचान लेगा. इसके ऐप के जरिये आप घर के एसी, टीवी और एंप्लीफायर को रिमोट कंट्रोल कर सकते हैं अपने मोबाइल से. यो कैम यह सिर्फ एक प्रोफेशनल कैमरा भर नहीं है बल्कि यह आपके लाइफ में रोमांच लाने का दावा करता है. वजन महज 55 ग्राम और इससे वाइड एंगल में सेल्फी ले सकते हैं. स्मार्टफोन में सबसे बड़ी परेशानी चार्जिंग खत्म होने की होती है. 
अभी यूरोप के रिफ्यूजी कैंप में सबसे बड़ी समस्या यही आ रही है. हर कोई यही सवाल करता है कैंप में कि मोबाईल कहां चार्च करें. यूएन कमीशन ने शरणार्थियों की इस समस्या से जब टेक कंपनी को अवगत कराया तो टेलीकॉम कंपनी वोडाफोन ने इन कैंपों में इंस्टैंट नेटवर्क और चार्जिंग स्टेशन बना दिया. सोलर पैनल के जरिए सभी के मोबाइल में 6 घंटे की बैट्री बैकअप आ गई. इतना ही क्रोएशिया की एक कंपनी मेश प्वाइंट ने हर मौसम में काम करने वाली वाई-फाई रिफ्यूजी कैंपों में लगाई और 4G मोबाइल डिवाइस सेट अप किया. इससे एक साथ 150 लोग इंटरनेट से कनेक्टेड हो सकते हैं. अमेरिका के फेडरल विमानन प्रशासन एफएए ने छोटे ड्रोनों के लिए पांचवें टेस्ट साइट की घोषणा की है. न्यू यॉर्क के निकट रोम में ग्रिफिस एयरपोर्ट पर शोधकर्ता इन मानवरहित विमानों का कृषि क्षेत्र में हो सकने वाले इस्तेमाल का जायजा लेंगे. वे प्रेसिजनहॉक लैंकैस्टर प्लेटफॉर्म यूएवी को उड़ाएंगे जो रिमोट से कंट्रोल होने वाला विमान है. इसके पंख 1.2 मीटर लंबे हैं, इसका भार 3 पाउंड है और वह 2.2 पाउंड का पेलोड ले जाने में सक्षम है. 
ड्रोन तकनीक का तेजी से विकास हो रहा है और कई दूसरे देशों में उसका असैनिक इस्तेमाल भी शुरू हो गया है. लेकिन अमेरिका समेत कई देशों में अभी कोई कानून न होने के कारण उसका इस्तेमाल गैरकानूनी है. अगर भारत में कृषि संबंधी शोध ड्रोन के जरिये किया दाए तो देश भर के किसानों को ड्रोन तकनीक से काफी फायदा मिलेगा. हालांकि यब बात अलग है कि अब महंगी शादियों का रिकार्डिंग भी ड्रोन से की जा रही है. संघीय विमानन एजेंसी एफएए अमेरिका में छह जगहों पर ड्रोन टेस्ट करने की अनुमति दे रहा है जहां इस बात की जांच की जाएगी कि किस तरह नीचे उड़ान भरने वाले छोटे ड्रोन अमेरिका के व्यस्त हवाई क्षेत्र में सुरक्षित उड़ान भर सकते हैं. अब तक रोम के अलावा अलास्का, नेवादा, उत्तरी डकोटा और टेक्सास को इसकी अनुमति मिली है. अमेरिका में मानवरिहत विमानों की लोकप्रियता बढ़ रही है और उनका इस्तेमाल विभिन्न क्षेत्रों में किया जा सकता है. लेकिन इस समय ड्रोन के उड़ान संबंधी कोई नियम नहीं हैं और एफएए ड्रोन के इस्तेमाल के व्यापक नियम बनाने में लगा है. लेकिन जब तक नियम तैयार नहीं हो जाते, एफएए ने कहा है कि उसकी अनुमति के बिना व्यावसायिक फायदे के लिए ड्रोन उड़ाने पर रोक है. ड्रोन का इस्तेमाल कैसे हो सकता है, इसका एक नमूना तब मिला जब न्यू यॉर्क के जेफरसन काउंटी के शेरिफ ने स्वीकार किया कि स्थानीय ड्रोन स्टार्ट अप की मदद से उन्हें चोरी हुए हथियारों का पता लगा. होराइजन एरियल मीडिया सर्विसेज की मालिक एमेंडा डेसजार्डिन्स ने बताया, "उन्होंने कहा कि उनका एक अजीब सा आग्रह है. जमीन से 15 मीटर की ऊंचाई पर उड़ते हुए होराइजन के कैमरा लगे फैंटम 2 क्वाड्रोकॉप्टर ने आधे घंटे में लूट का पता बता दिया." 
फैंटम 2 इस समय बाजार में उपलब्ध सबसे लोकप्रिय ड्रोन है. कैमरे के साथ इसकी कीमत करीब 1200 डॉलर है. इलेक्ट्रिक कार अब लाइन से बाहर हो चुकी है. अब नया जमाना इलेक्ट्रिक मोटरबाइक का आने वाला है. साइलेंट बाइक का जमाना. रिक्शा तो आ ही गया है अब सड़क पर बैट्रीचालित बाइक भी दौड़ेगी. 2016 में नहीं तो आने वाले कुछ सालों में साइलेंट बाईक सड़कों पर दौड़ने लगेगी. जर्मन ऑटो कंपनी बीएमडब्ल्यू इस क्षेत्र में जल्द ही क्रांति लाने की उम्मीद कर रहा है. कंपनी हाई परफॉरमेंस साइलेंट बाइक eRR मार्केट में उतारेगा. भारत के स्पेस प्रोग्राम ने अपनी नेविगेशन प्रणाली को तैयार कर लिया है. जिसे उपग्रह की मदद से अंतरिक्ष में स्थापित भी कर लिया है. इस उपग्रह की मदद से भारत अमेरिका की तर्ज पर अपना जीपीएस सिस्टम तैयार करने की स्थिति में है. इसे साल के शुरूआती महीने में ही सातों उपग्रहों की कक्षा में स्थापित कर दिया जाएगा.


सोमवार, 25 जनवरी 2016

भारत को समझना है तो स्टार्टअप को लाना होगा फ्रेश आइडिया

बाजार के पंडित कहते हैं कि इस साल के अंत तक ई-कॉमर्स इंडस्ट्री 50 बिलियन डॉलर की हो जाएगी. देश में स्टार्टअप को प्रमोट करने के लिए सरकार 10 हजार करोड़ रूपये का नया फंड बना रही है. स्टार्टअप करने वाले को 3 साल तक कोई टैक्स नहीं देना होगा. लेकिन इसका एक अलग चेहरा भी नजर आ रहा है. कई ई-कॉमर्स कंपनिया छोटे और मंझोले शहर में अपना सर्विस बंद कर चुकी है.जोमाटो, ग्रूफर समेत कई कंपनियों ने टायर-2 सिटीज में किया शटर डाउन. जुनैद हसन लखनऊ में एक इंवेस्टमेंट बैंकर है. पिछले दिनों अपने गर्लफ्रेंड के साथ वह अपने कमरे में था और गर्लफ्रेंड को बर्थडे ट्रीट देने के लिए उसने जोमाटो को लंच आर्डर किया. लेकिन अफसोस जुनैद का आर्डर बुक नहीं हो पाया. जब उसने इसकी वजह जाननी चाही तो जानकारी मिली कि जोमाटो ने कोच्चि, कोयंबटूर, लखनऊ, इंदौर समेत कई टायर-2 सिटीज में अपनी सर्विस बंद कर दी है. मालूम हो कि जोमाटो भारत का सबसे बड़ा रेस्टोरेंट एग्रीगेटर है और इसके ऐप और वेबसाइट पर देश के 75,000 रेस्टोरेंट की लिस्टिंग है. यह देश के 14 शहरों में फूड डिलेवरी का आर्डर लेता है. छह महीने तक जिन टायर-2 सिटीज में लगातार सर्विस देते रहे, वहां जोमाटो को अपना सर्विस क्यों बंद करना पड़ा. वजह साफ है-बिक्री का दर काफी कम रहना. जोमाटो कंपनी के अधिकारी कहते हैं कि छोटे और मझोले शहर में कंपनी के टोटल सेल्स में 2 फीसदी से भी कम की हिस्सेदारी देखी जा रही थी, इसलिए कंपनी ने यहां सर्विस बंद करने का फैसला लिया. उचित समय आने पर दोबारा सर्विस चालू होगी. जोमाटो ही नहीं ग्रूफर, फूडपांडा और टिनी आउल ने भी छोटे और मझोले शहर में अपना शटर डाउन कर दिया है. अब जरा इस विरोधाभास को भी समझें.टायर-2 सिटीज में मजबूत हो रही फ्लिपकार्ट और स्नैपडील.कई ई-कॉमर्स प्लेटफार्म का 60 फीसदी बिजनेस नन मेट्रो सिटी से होता है. फ्लिपकार्ट और स्नैपडील एक दिन में 50 से ज्यादा शहरों में डिलेवरी करने का दावा करते हैं. इनका नन मेट्रो शहरों के कई लॉजिस्टिक कंपनियों से टाईअप है और 1000 से ज्यादा शहरों में डिलेवरी करते हैं. बिग बास्केट 19 शहरों में दे रही सर्विस. वाहनों की प्रचुरता के कारण बिग बास्केट मेट्रो सिटी में सफल साबित हो रही है.छोटे शहरों में सफलता की वजह यह है कि जो उत्पाद लोकल दुकानदार नहीं उपलब्ध करा पाते यह कंपनी कंपनी उपलब्ध कराती है. ट्रैवल फर्म ओला 102 शहरों में सेवा देती है. कंपनी का मानना है कि छोटे शहरों में सफलता की बड़ी वजह यह है कि यहां यातायात के संगठित उपाय नहीं है. फूड और घरेलू सामान की डिलेवरी में है कई चुनौतियां. जोमाटो, स्वीगी, फूडपांडा और टिनी आउल समेत कई स्टार्टअप को छोटे शहरों में हो रही परेशानी.ज्यादा संख्या में रेस्टोरेंट और भोजनालय के अभाव के कारण सप्लाई में लिमिटेशन करनी पड़ रही है और कठिनाई हो रही है.ज्यादातर ग्राहक होम डिलेवरी से बेहतर रेस्टोरेंट में जाकर खाना पसंद करते हैं और दुकान में जाकर घर का सामान खरीदना पसंद करते हैं.छोटे शहरों में ग्राहक समय के प्रति ज्यादा पाबंद नहीं होते हैं और उनके पास काफी समय होता है बाहर जाकर खाने –खरीदने के लिए.
टायर-2 सिटीज में और सभी ई-कॉमर्स प्लेयर्स से कुछ अलग होता है फूड और ग्रॉसरी डिलेवरी. ज्यादा से ज्यादा डिमांड को पूरा करने के लिए इन शहरों में रेस्टोरेंट और ग्रॉसरी फर्म का अभाव है. इसलिए परेशानी हो रही है- पंकज चढ्ढा, को फाउंडर जोमाटो

पाकिस्तान इंक को मजबूत करने गए थे लाहौर मोदी

पीएम मोदी का लाहौर टूर एक बिजनेस टूर था. जब मोदी लाहौर एयरपोर्ट पर अचानक उतरे तो भारत में अचानक पाकिस्तान प्रेम जाग उठा और सभी एक बार फिर से सद्भावना और सौहाद्र की बात करने लगे. फिर से डायलॉग डिप्लोमैसी की बात होने लगी. लेकिन दरअसल ऐसा कुछ था नहीं. सनद रहे कि वाजपेयी ने जो पाकिस्तान से बातचीत का रास्ता खोला था, मोदी उस रास्ते पर नहीं चल रहे हैं. यह तो दो कारोबारी पीएम का मिलन था. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री लाहौर के मियां मुहम्मद नवाज शरीफ खानदानी कारोबारी हैं. पाकिस्तान की बड़ी औधोगिक ईकाई इत्तेफाक ग्रुप ऑफ कंपनीज इनका पुश्तैनी कारोबार है और यह इनके पिता मुहम्मद शरीफ के द्वारा स्थापित किया गया था. और यह अकारण नहीं था कि 2015 के अंत में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पाक पीएम नवाज शरीफ से मिलने अचानक लाहौर एयरपोर्ट पर उतर गए. दरअसल पीएम मोदी का यह विजिट नवाज शरीफ के कारोबार को और विस्तार देने के लिए पहले से नियोजित किया गया था. इस ऐतिहासिक मिलन का आयोजन कराया था भारत के स्टील मैग्नेट सज्जन जिंदल ने और पृष्ठभूमि तैयार की थी पूर्व पाकिस्तानी राजदूत सलमान बशीर ने. पाकिस्तानी वेबसाइट फाइवरुपीज.कॉम के मुताबिक प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ का परिवार स्टील के धंधे में है. उनके परिवार की कंपनी 'इत्तेफाक ग्रुप ऑफ कंपनीज़' स्टील के व्यापार में है. पाकिस्तान के हिस्से वाले पंजाब में इसका लंबा-चौड़ा स्टील कारोबार है.हाल ही में बशीर भारत की यात्रा पर थे. कहा जा रहा है कि अपनी भारत यात्रा के दौरान ही उन्होंने इस औचक मुलाकात का विचार दिया था. इस विचार को आगे बढ़ाने का काम भारत के एक उद्योगपति परिवार ने किया. इसके पीछे मुंबई के स्टील किंग सज्जन जिंदल का नाम सामने आ रहा है. सज्जन जिंदल पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के खास मित्रों में हैं. मोदी की इस यात्रा में गौरतलब बात यह भी है कि सज्जन जिंदल का नवाज शरीफ के बेटे के साथ व्यापारिक रिश्ता सीधे जुड़ा है. - भारतीय स्टील कंपनियों का एक ग्रुप है – अफगान आयरन एंड स्टील कंसोर्टियम(एफिस्को). यह ग्रुप पाक सरकार से लगातार आफगानिस्तान के बामियान प्रांत होकर कराची तक लौह अयस्क के ट्रांसपोर्टेशन के राइट देने के लिए लिए वार्ता कर रही थी. फिलहाल लौह अयस्क का ट्रांजिट रुट रूस के रास्ते होता है जो काफी महंगा है.इस स्टील कंसोर्टियम में सेल, जिंदल की जेएसडब्ल्यू, जेएसपीएल और मॉनेट इस्पात शामिल हैं. अफगानिस्तान के रास्ते कराची लौह अयस्क के ट्रांजिट रुट बनाने का मकसद नवाज शरीफ की होल्डिंग कंपनी 'इत्तेफाक ग्रुप ऑफ कंपनीज़ को फायदा पहुंचाना है. पाक के जाने-माने बिजनेस पत्रकार शाहिद उर रहमान ने अपने किताब व्हू ओन्स पाकिस्तान में लिखा है कि-1990 में जब नवाज शरीफ पाक के पीएम बने तो उन्होंने देश में निजीकरण औऱ उदारीकरण की नई इकोनोमिक पॉलिसी लाई. सरकार ने 115 कंपनियों का निजीकरण किया जिसमें 67 कंपनियों का वास्ता नवाज शरीफ की होल्डिंग कंपनी 'इत्तेफाक ग्रुप ऑफ कंपनीज़ से है. 'इत्तेफाक ग्रुप ऑफ कंपनीज़ के संस्थापक मियां मुहम्मद शरीफ की 2000 इसवीं में मौत होने के बाद कंपनी का बंटवारा दो भाई नवाज शरीफ और शाहबाज शरीफ में हुआ.नवाज शरीफ के मालिकाने हक में स्टील का पूरा कारोबार है.'इत्तेफाक ग्रुप ऑफ कंपनीज़ के वेबसाइट के मुताबिक कंपनी का कुल टर्नओवर 300 मिलियन डॉलर का है. जबकि रियल एस्टेट कंपनी का टर्नओवर 100 मिलियन डॉलर
पाकिस्तान में व्यापारी-जमींदार और सेना सबसे ताकतवर हैं और यही सरकार चलाते हैं. दोनों एक हैं और ये अपने फायदे के लिए हर तरह के डील्स करते हैं - असगर वजाहत पूर्व विभागाध्यक्ष, जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी

इन युद्धों पर दुनिया की रहेगी नजर

सूडान से सोमालिया तक, सीरिया से लेकर लीबिया तक और इराक से अफगानिस्तान तक, दुनिया को कई हिंसक सशस्त्र संघर्षों का सामना करना पड़ रहा है जो कि तीसरे विश्व युद्ध की स्थिति उत्पन्न कर सकता है. एक तरफ यह भी है कि शांति, आशावादी और काल्पनिक दुनिया में रहने वाले लोग भविष्य में इस तरह की किसी भी आपदा से इनकार करते हैं. लेकिन सच्चाई यह है, दुनिया पिछले दो विश्व युद्धों की तुलना में आज बेहद बदतर स्थिति में पहुंच गई है. संयोग से प्रथम विश्व युद्ध जब शुरू हुआ था और जब तक चला था, उसके 100 वर्ष पूरे हो चुके हैं, मतलब इसे फर्स्ट वर्ल्ड वार का शताब्दी समय कहा जा सकता है. पिछले 70 सालों से दुनिया की छिट पुट घटनाओं को छोड़ दिया जाए तो अभी तक शांति की स्थिति बनी हुई थी लेकिन हालिया माहौल को देखते हुए ऐसा लगता है कि कहीं तृतीय विश्व युद्ध की स्थिति तो पैदा नहीं हो रही. अगर तृतीय विश्व युद्ध नहीं भी होता है तो 2016 में ऐसे कई वजह है जिनके बुनियाद पर इन देशों में युद्ध की स्थिति बनी रह सकती है और दुनिया की इन देशों पर पैनी नजर रहेगी. इतना ही नहीं इन देशों में बन रही युद्ध की स्थिति पूरी दुनिया को युद्ध का दंश झेलने पर मजबूर कर सकती है. अभी दुनिया में आधी से ज्यादा लड़ाईयां धर्म के नाम पर लड़ी जा रही है और तेल पर कब्जा एक प्रमुख मुद्दा बन चुका है. इसके परिदृश्य में कई सत्ताएं गृह युद्ध की चपेट में आ चुकी हैं. तालीबान, बोकोहराम, अलकायदा और आईएसआईएस जैसे संगठन इस्लाम को ऐसे मोड़ पर खड़ा कर चुके हैं, जिससे प्रत्येक देश, जहां मुस्लिम समुदाय मौजूद है, उनकी मानसिकता से डर रहा है. खुद भारत में, जहां का इस्लाम अपेक्षाकृत उदार कहा जा रहा है, वहां भी इस्लामिक स्टेट के कद्रदान पाए जा रहे हैं. इसके अतिरिक्त कट्टर इस्लाम और आतंकवाद आज एक दुसरे के पूरक बन चुके हैं, इसलिए मुंबई और पेरिस जैसे हमलों की श्रृंखला बढ़ने के डर से तमाम देश कट्टरवादी इस्लामिक संगठनों के खिलाफ एकजुट हो रहे हैं तो अपने राजनैतिक और क्षेत्रीय हितों का स्वार्थ इनके सामने आ खड़ा हो रहा है. अब सीरिया का मामला ही ले लीजिए, समझना दिलचस्प होगा कि जिस प्रकार का दुस्साहस तुर्की ने रूस के विमान को गिराकर दिया है, उसके पीछे किस महाशक्ति का हाथ हो सकता है. अमेरिका, रूस और फ्रांस जैसे देशों से दुश्मनी लेना अबतक तो आईएस को भारी ही पड़ा है. वहीं रूसी विमानो को मार गिराए जाने से कूटनीतिक स्तर पर भी मतभेद उत्पन्न हो गए हैं. सीरिया में युद्ध के बाद से 11 मिलियन लोग लगभग देश की आधी से ज्यादा आबादी मुल्क को छोड़ चुकी है. लाखों सीरियाई लोग इस लड़ाई में मारे जा चुके हैं. सीरिया के आधे से ज्यादा हिस्से पर इस्लामिक स्टेट का कब्जा है. सद्दाम हुसैन को मारने के बाद अमेरिका ने यह समझ लिया कि ईराक में शांति आ गई, मगर यह अमेरिका की भूल थी. जानकार मानते हैं कि इराक युद्ध ने इस्लामिक स्टेट को खड़ा करने में अहम भूमिका निभाई है. इस्लामिक स्टेट ने इराक के सुन्नी-अरब प्रांतों पर कंट्रोल कर लिया है और उधर शिया समुदाय के विद्रोही प्रधानमंत्री हैदर-अल-अबादी पर लगातार दवाब डाल रहे हैं. शिया समुदाय और इस्लामिक स्टेट के बीच संघर्ष और युद्ध जारी है. पिछले महीने एक रूसी जंगी विमान को तुर्की द्वारा मार गिराए जाने के बाद रूस के लिए तुर्की आंखों की किरकिरी बन गया है. इस घटना से नाराज रूस ने तुर्की पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं. हाल में तुर्की की एक तस्वीर आई है जिसमें कई लड़ाकों को एसॉल्ट राइफल के साथ दिखाया गया है. भूले नहीं कि तुर्की का लंबे समय से कुर्दिस्तान वर्कर पार्टी से युद्ध होता रहा है. 1984 से जारी इस अंतहीन लड़ाई में अभी तक 30 हजार लोग मारे गए हैं. तुर्की में कुर्दों के आंदोलन को कुर्दिस्तान वर्कर पार्टी मदद पहुंचा रही है और यही सीरिया में इस्लामिक स्टेट से भी लड़ रही है. शिया ईरान और सुन्नी सऊदी अरब के झगड़े की कीमत यमन को चुकानी पड़ रही है. सऊदी अरब की अगुवाई में संयुक्त सेनाओं ने यमन में हॉसी विद्रोहियों पर हमले तेज किए. सऊदी अरब को डर है कि उसका पड़ोसी यमन कहीं ईरान के प्रभाव में न आ जाए. इसी आशंका के चलते सऊदी अरब की अगुवाई में संयुक्त सेनाओं ने यमनी सेना और हॉसी विद्रोहियों पर हवाई हमले शुरू किए. संयुक्त सेना ने यमनी सेना और शिया हॉसी विद्रोहियों की चौकियों को निशाना बनाया. संयुक्त सेनाओं ने राजधानी सना के राष्ट्रपति आवास पर भी हमले किए. लेबनान में शिया सरकार और इराक में बढ़ते शिया प्रभाव से सऊदी अरब बेचैन है. सऊदी राजशाही यमन में तेहरान के बढ़ते प्रभाव को किसी भी कीमत पर रोकना चाहती है. सऊदी सीमा से सटे सादा शहर को हॉसियों का गढ़ माना जाता है. लीबिया में इस्लामी कट्टरपंथियों और गैर इस्लामी बलों के बीच लंबे समय से संघर्ष चल रहा है. इस्लामिक गुट लीबिया डॉन ने अल-कायदा के जिहादियों के साथ हाथ मिला लिया है. इस संगठन ने 90 के दशक में गद्दाफी के खिलाफ हथियार उठाया था. केवल यही नहीं, इन दोनों गुटों को एक अन्य कट्टरपंथी संगठन मुस्लिम ब्रदरहुड का समर्थन भी प्राप्त है. और इस वजह से इस क्षेत्र में कानून का राज खत्म हो गया है. इधर लीबिया में इस्लामिक स्टेट ने भी अपनी पैठ जमा ली है. लीबिया पर नाटो के हवाई हमले और फिर कर्नल गद्दाफी के मौत के बाद वहां लगातार सत्ता के लिए संघर्ष जारी है. भारत और पाकिस्तान के बीच किसी न किसी कारण से कभी भी युद्ध हो सकता है. चाहें वह कश्मीर का मुद्दा हो या फिर पाक समर्थित आतंकवाद का. पठानकोट हमले के बाद भारत अभी तक शांति बनाए हुए है लेकिन यह काफी थोड़े ही समय के लिए है. अगर भविष्य में ऐसी कोई दूसरी घटना होती है तो युद्ध की संभावना और बढ़ जाएगी. लेकिन यह युद्ध काफी भयावह परिणाम दे सकती है क्योंकि दोनों ही देश परमाणु हथियारों से संपन्न देश हैं. बीते दो सालों से चीन और जापान के संबंध भी कुछ ठीक नहीं दिखाई दे रहे. दोनों सेंकाकु द्वीप के आस पास खतरनाक खेल खेल रहे हैं. दोनों देशों की सेना इस द्वीप पर पहुंच चुकी है. किसी भी तरह के नौसेना या हवाई हमले की वजह से यहां की स्थिति युद्ध जैसे माहौल में बदल सकती है. अमेरिका के संबंध भी चीन और जापान के साथ कुछ अच्छे नहीं रहे हैं इस पर अमेरिका और जापान के बीच हुए एक समझौते के तहत अमेरिका को जापान की मदद करनी ही पड़ेगी. इसका परिणाम यह होगा कि युद्ध में अमेरिका के शामिल हो जाने से पूरा एशिया प्रशांत द्वीप इसमें शामिल हो जाएगा. वियतनाम और फिलिपींस भी समुद्री सीमा विवाद को लेकर चीन का विरोध करते रहे हैं. यूक्रेन के पूर्वी भाग में रूस समर्थक और सरकार विरोधी बल सशस्त्र संघर्ष में लगे हुए हैं. इस संघर्ष की शुरूआत वर्ष 2014 में यूक्रेनी क्रांति और उरोमाइडन आंदोलन के बाद शुरू हुई थी.अमेरिका सहित अन्य पश्चिमी देशों ने रूस पर आरोप लगाया है कि इसने पूर्वी यूक्रेनी पर जबरन कब्जा कर लिया है. वहीं रूस का कहना है कि यह केवल क्रीमिया में हुए जनमत संग्रह का असर है. यूक्रेन के समर्थन में अमेरिका और नाटो देशों के उतर जाने के बाद वहां की स्थिति और गंभीर हो गई है. इन देशों ने जहां रूस पर आर्थिक तौर पर पाबंदी लगा दी वहीं वह उसके खिलाफ भी खड़े हो गए. अगर नाटो देश रूस पर ज्यादा दबाव बनाने की कोशिश करते हैं तो इसके परिणाम भी काफी भयावह हो सकते हैं. ये दुनिया के सबसे ताकतवर देश हैं और परमामु हथियारों की संख्या इन देशों के पास सबसे अधिक है जो दुनिया के लिए चिंता का विषय है. दारफुर और देश के दक्षिणी क्षेत्रों में लगातार हो रही हिंसा की वजह से सूडान झुलस रहा है. अब तक हजारों की संख्या में लोग सरकारी बलों और सूडान लिबरेशन मूवमेंट/आर्मी (एसएलएम/ए) और जस्टिस एंड इक्वलिटी मूवमेन्ट (जेईएम) विद्रोही गुटों के बीच सशस्त्र संघर्ष में मारे गए हैं.