मंगलवार, 26 जनवरी 2016

भविष्य पर टंगी है निगाहें

हमें भविष्य को पढ़ने की जिद रहती है. अभी अभी नया साल 2016 आया है और हम साल के पूरे 12 महीनों का भविष्य एक सांस में पढ़ लेना चाहते हैं, जो शायद संभव भी नहीं है. क्योंकि भविष्य हमेशा गर्भ में रहता है और वह समय आने पर ही बाहर निकलता है. खैर नए साल से हमें काफी उम्मीदें है और सामने कई चुनौतियां भी. दुनिया में कई ऐसे इनोवेशन इन दिनों हुए हैं जिससे संभव है नए साल में हम एक बेहतर जिंदगी जी सकें. टेक्नोलॉजी हमारे जिंदगी को बेहतर बनाने के लिए हर पल कुछ न कुछ नया इजाद करती रहती है और अब वो समय भी नहीं रहा जब हम बिना टेक्नोलॉजी के एक कदम भी आगे बढ़ा सके. तकनीकी क्रांति के बड़े से बड़े आलोचक भी अब यह मानने लगे हैं कि कैसेट को फास्ट फारवर्ड तो किया जा सकता है लेकिन रिवाइंड नहीं. यही हकीकत भी है. दुनिया बड़ी तेजी से बदल रही है और हम पर पल कुछ नया चाहते हैं और इसी नए पाने की चाहत में टेक्नोलॉजी भी मानवता की चाहत के साथ कदमताल करती रहती है.



मेडिकल साइंस ने एक गजब की खोज की है. अब कुत्ते आपको सूंघकर यह बता देंगें कि आप बीमार हैं. यही नहीं कुत्ते यह भी बता देंगें कि आपको कौन सी बीमारी है. यहां तक की कैंसर भी. नाक की बात जब होती है तो कुत्ते की नाक के फायदे सबसे ज्यादा है. और मेडिकल साइंस ने इसी का फायदा उठाया. ब्रिटेन में कुत्तों को डॉक्टर की टीम ने आठ लोगों के यूरीन सैंपल दिए जिसमें एक यूरीन सैंपल एक ऐसे मरीज की थी जिसे कैंसर थी नहीं लेकिन उसके लक्षण थे. कुत्ते को पहचानने का टास्क दिया गया और कुत्ते ने कैंसर के लक्षण वाले मरीज के यूरीन सैंपल की पहचान कर ली. ऐसे कुत्तों को मेडिकल डिटेक्शन टीम में शामिल किया गया है. भारत में हमें देखना है कि बीमारियों की कुछ डायग्नोसिस सुनिश्चित की जाए, खास कर गरीब और मध्यम तबके के लिए जो अपने शहरों में इलाज करा कर थक जाते हैं . फिर बड़े अस्पतालों में महंगे टेस्ट पर टेस्ट कराते हैं. अनेकों एसी बीमारियां है जो आले से पहचानी जा सकती है उसके लिए भी 5 से दस हजार तक के टेस्ट करा दिए जाते हैं. भारत बड़ी आबादी वाला देश है और 70 फीसदी लोग गांवों में बसती है. 70 फासदी की आम आबादी के लिए क्या 2016 में चिकित्सा सुविधा सस्ती होगी. महंगे ऑपरेशन सस्ते होंगे. इन चुनौतियों को कम करने के लिए काफी उपाय किए जा रहे हैं. संभव है इस साल गांवों में बेहतर अस्पताल खुलें और स्वास्थ्य सुविधाएं सस्ती हों. तकनीक का इस्तेमाल कर हम महंगे ऑपरेशन को सस्ते कर सकते हैं जैसे अभी रोबोट के इस्तेमाल से हार्ट ब्लॉकेज जैसे ऑपरेशन बिना रक्त हानि के संभव हो पाए हैं. मगर एक बड़ी चुनौती है डॉक्टर और अस्पताल की. एक आंकड़े के मुताबिक 80 फीसदी डॉक्टर, 75 फीसदी क्लिनिक और 60 फीसदी अस्पताल शहरी इलाकों में हैं. 
 यह कहना यूटोपिया है कि दुनिया में शांति और भाइचारे का राज है लेकिन सच है कि पूरी दुनिया में युद्ध की स्थिति बनी हुई है. सबसे भयावह होती है युद्ध की विभीषिका. युद्ध में घायल हुए लोगों के घाव जल्दी नहीं भरते. लेकिन मेडिकल साइंस ने इस पर भी फतह कायम की है. घाव के दाग और उस पीड़ा को खत्म करने के लिए मेडिकल साइंस 2016 में और कुछ नया करेगी लेकिन फिलहाल यहां आपको जानकारी दे दूं कि अमेरिका में पिछले दिनों युद्ध में घायल हुए एक सैनिक का लिंग प्रत्यारोपित किया गया. अमेरिका में लिंग प्रत्यारोपण का यह पहला केस था. जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसीन में यह सफल प्रत्यारोपण किया गया. 12 घंटे तक यह सर्जरी चली और 50 लाख डॉलर खर्च हुए. मृत डोनर का शिश्न लिया गया और उसे प्रत्यारोपित किया गया. 
 एक ड्रोन आ रहा है- फ्लेयी जो फ्रेंडली होगा. यह फोर-रोटर ड्रोन है और इसकी साइज एक औसत फुटबॉल जैसी ही होगी. वजन लगभग 450 ग्राम होगा. यह लिनक्स बेस्ड कंप्यूटर होगा और इसमें डूयेल कोर प्रोसेसर होगा. यह जीपीएस इनेबल्ड है और इसमें 512 एमबी रैम है. 5 मेगा पिक्सल कैमरा. प्रति सकेंड 30 फ्रेम ले सकेगा. फुल एचडी वीडियो. सितंबर में इसे लांच किया जा सकता है. इसकी कीमत 1,250 पाउंड है. अगर आप पैपाराजी करना चाह रहे हैं तो ओनोगोफ्लाई ड्रोन 2016 में आपके काम आ सकता है. हथेली पर आने वाला यह ड्रोन में वह सारी खूबियां है जो 360 डिग्री पर हर कुछ रिकार्ड करने की क्षमता रखता है. स्मार्ट एग एक यूनिवर्सल रिमोट कंट्रोल है जो 2016 में आपको काफी ललचाएगा. बस इसे अपने घर के किसी सेंट्रल प्लेस में रख दें और इसे अपने एंड्रायड या आइओएस मोबाइल में ब्लूटूथ से पेयर कर दें. यह ब्लूटूथ के जरिए 5000 से ज्यादा रिमोट कंट्रोल और 1,20,00 इंफ्रारेड को पहचान लेगा. इसके ऐप के जरिये आप घर के एसी, टीवी और एंप्लीफायर को रिमोट कंट्रोल कर सकते हैं अपने मोबाइल से. यो कैम यह सिर्फ एक प्रोफेशनल कैमरा भर नहीं है बल्कि यह आपके लाइफ में रोमांच लाने का दावा करता है. वजन महज 55 ग्राम और इससे वाइड एंगल में सेल्फी ले सकते हैं. स्मार्टफोन में सबसे बड़ी परेशानी चार्जिंग खत्म होने की होती है. 
अभी यूरोप के रिफ्यूजी कैंप में सबसे बड़ी समस्या यही आ रही है. हर कोई यही सवाल करता है कैंप में कि मोबाईल कहां चार्च करें. यूएन कमीशन ने शरणार्थियों की इस समस्या से जब टेक कंपनी को अवगत कराया तो टेलीकॉम कंपनी वोडाफोन ने इन कैंपों में इंस्टैंट नेटवर्क और चार्जिंग स्टेशन बना दिया. सोलर पैनल के जरिए सभी के मोबाइल में 6 घंटे की बैट्री बैकअप आ गई. इतना ही क्रोएशिया की एक कंपनी मेश प्वाइंट ने हर मौसम में काम करने वाली वाई-फाई रिफ्यूजी कैंपों में लगाई और 4G मोबाइल डिवाइस सेट अप किया. इससे एक साथ 150 लोग इंटरनेट से कनेक्टेड हो सकते हैं. अमेरिका के फेडरल विमानन प्रशासन एफएए ने छोटे ड्रोनों के लिए पांचवें टेस्ट साइट की घोषणा की है. न्यू यॉर्क के निकट रोम में ग्रिफिस एयरपोर्ट पर शोधकर्ता इन मानवरहित विमानों का कृषि क्षेत्र में हो सकने वाले इस्तेमाल का जायजा लेंगे. वे प्रेसिजनहॉक लैंकैस्टर प्लेटफॉर्म यूएवी को उड़ाएंगे जो रिमोट से कंट्रोल होने वाला विमान है. इसके पंख 1.2 मीटर लंबे हैं, इसका भार 3 पाउंड है और वह 2.2 पाउंड का पेलोड ले जाने में सक्षम है. 
ड्रोन तकनीक का तेजी से विकास हो रहा है और कई दूसरे देशों में उसका असैनिक इस्तेमाल भी शुरू हो गया है. लेकिन अमेरिका समेत कई देशों में अभी कोई कानून न होने के कारण उसका इस्तेमाल गैरकानूनी है. अगर भारत में कृषि संबंधी शोध ड्रोन के जरिये किया दाए तो देश भर के किसानों को ड्रोन तकनीक से काफी फायदा मिलेगा. हालांकि यब बात अलग है कि अब महंगी शादियों का रिकार्डिंग भी ड्रोन से की जा रही है. संघीय विमानन एजेंसी एफएए अमेरिका में छह जगहों पर ड्रोन टेस्ट करने की अनुमति दे रहा है जहां इस बात की जांच की जाएगी कि किस तरह नीचे उड़ान भरने वाले छोटे ड्रोन अमेरिका के व्यस्त हवाई क्षेत्र में सुरक्षित उड़ान भर सकते हैं. अब तक रोम के अलावा अलास्का, नेवादा, उत्तरी डकोटा और टेक्सास को इसकी अनुमति मिली है. अमेरिका में मानवरिहत विमानों की लोकप्रियता बढ़ रही है और उनका इस्तेमाल विभिन्न क्षेत्रों में किया जा सकता है. लेकिन इस समय ड्रोन के उड़ान संबंधी कोई नियम नहीं हैं और एफएए ड्रोन के इस्तेमाल के व्यापक नियम बनाने में लगा है. लेकिन जब तक नियम तैयार नहीं हो जाते, एफएए ने कहा है कि उसकी अनुमति के बिना व्यावसायिक फायदे के लिए ड्रोन उड़ाने पर रोक है. ड्रोन का इस्तेमाल कैसे हो सकता है, इसका एक नमूना तब मिला जब न्यू यॉर्क के जेफरसन काउंटी के शेरिफ ने स्वीकार किया कि स्थानीय ड्रोन स्टार्ट अप की मदद से उन्हें चोरी हुए हथियारों का पता लगा. होराइजन एरियल मीडिया सर्विसेज की मालिक एमेंडा डेसजार्डिन्स ने बताया, "उन्होंने कहा कि उनका एक अजीब सा आग्रह है. जमीन से 15 मीटर की ऊंचाई पर उड़ते हुए होराइजन के कैमरा लगे फैंटम 2 क्वाड्रोकॉप्टर ने आधे घंटे में लूट का पता बता दिया." 
फैंटम 2 इस समय बाजार में उपलब्ध सबसे लोकप्रिय ड्रोन है. कैमरे के साथ इसकी कीमत करीब 1200 डॉलर है. इलेक्ट्रिक कार अब लाइन से बाहर हो चुकी है. अब नया जमाना इलेक्ट्रिक मोटरबाइक का आने वाला है. साइलेंट बाइक का जमाना. रिक्शा तो आ ही गया है अब सड़क पर बैट्रीचालित बाइक भी दौड़ेगी. 2016 में नहीं तो आने वाले कुछ सालों में साइलेंट बाईक सड़कों पर दौड़ने लगेगी. जर्मन ऑटो कंपनी बीएमडब्ल्यू इस क्षेत्र में जल्द ही क्रांति लाने की उम्मीद कर रहा है. कंपनी हाई परफॉरमेंस साइलेंट बाइक eRR मार्केट में उतारेगा. भारत के स्पेस प्रोग्राम ने अपनी नेविगेशन प्रणाली को तैयार कर लिया है. जिसे उपग्रह की मदद से अंतरिक्ष में स्थापित भी कर लिया है. इस उपग्रह की मदद से भारत अमेरिका की तर्ज पर अपना जीपीएस सिस्टम तैयार करने की स्थिति में है. इसे साल के शुरूआती महीने में ही सातों उपग्रहों की कक्षा में स्थापित कर दिया जाएगा.


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